वाणी के वंशज
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तन के तानपुरे तनते हैं,मन के मँजीरे बज जाते हैं।
सृजन साधना सक्षम हो तब, वाणी के वंशज गाते हैं।
हस्ताक्षर कर बैठा जब से, संबंधों के संधि-पत्र पर,
संवादों के शिलालेख पर,शुभ सम्बोधन सज जाते हैं।
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रचनाकार,
संदीप ‘सरस’
कवि,साहित्यकार/समीक्षक
संयोजक
साहित्य सृजन मंच
शंकरगंज,बिसवां(सीतापुर)
उ प्र-261201
मो-9450382515
Sandeep.mishra.saras@gmail.com