वाचन हारा कौन
लिखने वाले ने लिख दिया वचन हारा कौन। जब उसने खोली पुस्तक की वाचन हारा मोहन। जब जब मैंने लिखा दिलों में लग जाती है आग। गेहूं पानी डालता बढ़ती जाती आप। कह रहा है कि मैं विज्ञान हूं। कंकड़ कह रहा है कि मैं विज्ञान हूं भूल से सीखा नहीं मिट्टी की पहचान हूं। झूठ से जुड़ा कर दी रचना विकास की समझ कर समझ ना सका ताकत प्रयास की