वाकपटुता
जून की तपती दोपहरी….मीरा दोपहर का खाना बना एक बार फिर से नहा आई और कूलर के आगे बैठ गई ये सोच कर की सब काम निपट गये हैं थोड़ा आराम कर लेती हूँ थोड़ी देर में खाना परोस दूंगीं इधर उधर नज़र घुमाई लेकिन बिटिया जो अभी तीन साल की थी नज़र नही आई…दादा दादी के कमरे में खेल रही होगी ये सोच मीरा TV देखने लगी , बहू 15 मिनट में खाना लगा देना सासू माँ ने अपने कमरे से ही आवाज़ लगाई “जी मम्मी” कह सीरियल देखने में व्यस्त हो गई तभी बिटिया रानी पसीने से भीगी हुई प्रकट हुईं… अरे ! कहा खेल रहा था मेरा बच्चा इत्ता पसीना ? ड्राइंग रूम में मम्मा कह फिर जाने के लिये पलट ली…अरे अरे कहा चल दी फिर से थोड़ी देर कूलर के सामने खड़ी होकर कूलर की हवा खा ले बेटा देख तो कित्ता पसीना आया है , माँ की बात सुनते ही बिटिया झट से कूलर के आगे खड़ी हो गईं और चप – चप मुँह चलाते हुये माँ की तरफ़ देखा और बोली ” खा लिया मम्मा ” मीरा ने आवाक् हो बिटिया को देखा और उसकी वाकपटुता पर ज़ोर से हँस कर गोद में उठा चूम लिया ।
स्वरचित एंव मौलिक
( ममता सिंह देवा , 11/05/2020 )