Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Apr 2020 · 1 min read

व़क्त की पुकार

गुम़सुम़ सी सड़कें , गुम़सुम़ सी गलियां, खाली-खाली सा मंज़र , कुछ कहानी कह रहा है।
अब इंसान मज़बूर होकर अपने ही घर में क़ैद होकर रह गया है।
अपनों से न मिल पाने की बेब़सी स़ालती है।
बेताब़ दिल की धड़कनें भी ये सवाल पूछती है।
क्या इंसान इतना कमज़ोर होकर रह गया है ?
जो एक अद़ने जरास़िम से डरकर रह गया है ?
बड़ी-बड़ी सलाहिय़ते नई नई खोजों का दम भरती है।
पर इस छोटे से जरास़िम का तोड़ खोज नहीं सकती हैं।
बड़े-बड़े तरक्क़ीश़ुदा मुल्क भी इसके आगे घुटने टेक रहे हैं।
जिन्हें देखकर तरक्कीपज़ीर मुल्क भी अपना हौस़ला खो रहे हैं।
अपनी-अपनी अक्ल़े लगाकर बचने की नई-नई तरक़ीबें खोज रहे है।
इस बात से बेख़बर के ये जरास़िम इंसान ने ही ईज़ाद किया है।
जिसे ईज़ाद करने के बाद उसका तोड़ खोजना वो भूल गया है।
जिसका खाम़ियाज़ा तो वो ख़ुद भुगत चुका है ।
और भुगतने के लिए सारी दुनिया को भी मज़बूर कर दिया है।
दुनिया में अपनी ताक़त क़ायम करने के लिए उस कमज़र्फ ने ये हथकंडा अपनाया है ।
अपनी हव़स की खातिर उसने लाखों को मौत की नींद में सुला कर इंसानिय़त को शर्म़सार किया है।
व़क्त की पुकार है जाग जाओ दुनिया वालों ।
बेनक़ाब कर दो इस इंसानिय़त और अम़न के दुश़्मन को।
कर दो नेस्तनाब़ूद उसके नाप़ाक इऱादों और चालों को।
रहे सलाम़त इंसानिय़त और अम़न इस जहांं में।
फिर ना कोई बने इनका दुश़्मन इस ज़माने में।

Language: Hindi
4 Likes · 311 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
चक्रव्यूह की राजनीति
चक्रव्यूह की राजनीति
Dr Parveen Thakur
मन जो कि सूक्ष्म है। वह आसक्ति, द्वेष, इच्छा एवं काम-क्रोध ज
मन जो कि सूक्ष्म है। वह आसक्ति, द्वेष, इच्छा एवं काम-क्रोध ज
पूर्वार्थ
यदि  हम विवेक , धैर्य और साहस का साथ न छोडे़ं तो किसी भी विप
यदि हम विवेक , धैर्य और साहस का साथ न छोडे़ं तो किसी भी विप
Raju Gajbhiye
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
न ख्वाबों में न ख्यालों में न सपनों में रहता हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
जहाँ से आये हो
जहाँ से आये हो
Dr fauzia Naseem shad
स्वयं से सवाल
स्वयं से सवाल
आनन्द मिश्र
Asan nhi hota yaha,
Asan nhi hota yaha,
Sakshi Tripathi
* सत्य एक है *
* सत्य एक है *
surenderpal vaidya
दुनियाँ के दस्तूर बदल गए हैं
दुनियाँ के दस्तूर बदल गए हैं
हिमांशु Kulshrestha
"नृत्य आत्मा की भाषा है। आत्मा और परमात्मा के बीच अन्तरसंवाद
*Author प्रणय प्रभात*
भाई बहन का प्रेम
भाई बहन का प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
नव वर्ष का आगाज़
नव वर्ष का आगाज़
Vandna Thakur
पढ़ने को आतुर है,
पढ़ने को आतुर है,
Mahender Singh
यहाँ पाया है कम, खोया बहुत है
यहाँ पाया है कम, खोया बहुत है
अरशद रसूल बदायूंनी
💐 Prodigi Love-47💐
💐 Prodigi Love-47💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कर गमलो से शोभित जिसका
कर गमलो से शोभित जिसका
प्रेमदास वसु सुरेखा
समाप्त वर्ष 2023 मे अगर मैने किसी का मन व्यवहार वाणी से किसी
समाप्त वर्ष 2023 मे अगर मैने किसी का मन व्यवहार वाणी से किसी
Ranjeet kumar patre
नफ़रत की आग
नफ़रत की आग
Shekhar Chandra Mitra
तुम ने हम को जितने  भी  गम दिये।
तुम ने हम को जितने भी गम दिये।
Surinder blackpen
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मुस्कुराकर देखिए /
मुस्कुराकर देखिए /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
जीवन के सारे सुख से मैं वंचित हूँ,
जीवन के सारे सुख से मैं वंचित हूँ,
Shweta Soni
हिम बसंत. . . .
हिम बसंत. . . .
sushil sarna
कितना प्यार करता हू
कितना प्यार करता हू
Basant Bhagawan Roy
Ab kya bataye ishq ki kahaniya aur muhabbat ke afsaane
Ab kya bataye ishq ki kahaniya aur muhabbat ke afsaane
गुप्तरत्न
हरा-भरा अब कब रहा, पेड़ों से संसार(कुंडलिया )
हरा-भरा अब कब रहा, पेड़ों से संसार(कुंडलिया )
Ravi Prakash
सारे दुख दर्द होजाते है खाली,
सारे दुख दर्द होजाते है खाली,
Kanchan Alok Malu
कितना ठंडा है नदी का पानी लेकिन
कितना ठंडा है नदी का पानी लेकिन
कवि दीपक बवेजा
सत्य से विलग न ईश्वर है
सत्य से विलग न ईश्वर है
Udaya Narayan Singh
3302.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3302.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
Loading...