वह है आइनें सा।
वह है आईने सा सब को सच्चाई ही बताता है।
अक्स है जिसका जैसे बस वैसे ही दिखाता है।।1।।
उसकी ये पहचान उसके लिए ही है खतरनाक।
क्योंकि वो सच को झूठ कभी भी ना बनाता है।।2।।
उसके अपने ही उससे है बहुत ही यूँ तो परेशां।
वह अपनों की ज़िंदगी लिए कुछ ना कमाता है।।3।।
जीना चाहता है वह ज़िन्दगी मान सम्मान की।
ज़िल्लत की नही वह बस इज्जत की खाता है।।4।।
अक़ीदा है बड़ा उसका ऊपर वाले की जात पे।
मांगने की खातिर बस खुदा के दर पर जाता है।।5।।
लिखता है बस वो सच्चाई अखबार के पन्नों पे।
अन्नाय होने पर मज़लूम उसी के पास आता है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ