*वह लोक स्वर्ग-समान है 【 भक्ति-गीतिका】*
वह लोक स्वर्ग-समान है 【भक्ति-गीतिका】
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(1)
स्वर्ग का मतलब यही ,हर एक स्वस्थ जवान है
जिस जगह यह खूबियाँ ,वह लोक स्वर्ग-समान है
(2)
स्वर्ग में जितने बरस भी देवता जीवित रहे
कांतिमय उनके सदा मुख पर अमिट मुस्कान है
(3)
माँग कर या गिड़गिड़ाकर भीख में लेना पड़े
सोच कर तो देखिए ,क्या यह उचित सम्मान है
(4)
पाप हों या पुण्य हों ,सब कर्म होंगे भोगने
यह अटल इस सृष्टि का ,शाश्वत महान विधान है
(5)
संयमित भोजन हो ,मर्यादित रहे हर आचरण
सौ बरस क्या तीन सौ की ,आयु भी आसान है
(6)
देह से लाचार बूढ़ा ,मृत्यु – शैया पर पड़ा
आखिरी मंजिल नियम ,उसके लिए शमशान है
(7)
लेना पड़ेगा जन्म फिर-फिर ,लोक में-परलोक में
मुक्ति में हर बार कुछ ,पड़ता रहा व्यवधान है
(8)
देह ने जानी न आत्मा ,दो कदम का फासला
पास जो इतना रहा ,उससे ही तन अनजान है
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451