वह मौत भी बड़ा सुहाना होगा
जिस दिन सरहद पर जाना होगा,
न तकिया न बिछौना होगा ,
अपनी देश की शान के खातिर,
हर दुश्मन से टकराना होगा।
वह मौत भी बड़ा सुहाना होगा।
जिस मातृभूमि पर जन्म लिए ,
सर उसे न कभी झुकाना होगा ।
अकेले ही सरहद पे जा के दुश्मन के,
सौ-सौ लाश गिराना होगा।
वह मौत भी बड़ा सुहाना होगा होगा
सौ कुचक्र रचे भले ही दुश्मन,
राणा सा साहस हमे दिखाना होगा।
वीर अभिमन्यु जैसे दुश्मन को
ईंट से ईंट बजाना होगा।
वह मौत भी बड़ा सुहाना होगा।
वीरगति पाएँगे जिस दिन,
कफन देश का मेरा मेहनताना होगा।
वीर भगत सिंह जैसे हमें ,
फांसी पे भी मुस्कुराना होगा
वह मौत भी बड़ा सुहाना होगा