वह मेरे पापा हैं।
इन्सान के लिबास में फरिश्ते ने मुझको पाला है।
वह मेरे पापा है जिन्होंने मझधार में,
बनकर पतवार मेरी कश्ती को निकाला है।।
क्या लिख दूं मैं उनके ऊपर अल्फाज़ ही नहीं है।
वह मेरे पापा है जिन्होंने जीवन भर,
बनकर भगवान मेरी जिन्दगी को संवारा है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ