वह भी हमसे प्यार करती
वह भी हमसे प्यार करती।
अगर मेरे प्यार को पहचानती।।
हम जैसे दीवाने थे वह भी दीवानी होती।
अगर वो अपने दिल की आहट को आकानी होती।।
हम जैसे पसंद करते है वह भी पसंद करती।
अगर थोड़ा सा भी ध्यान से हमे देखी होती।।
तब हम दोनों साथ होते।
हर पल दिल की बात होते।।
दिन या ओ रात होते।
एक दूजे के लिए खास होते।।
सफलता की पहली सीढ़ी पर पहुंची,
पर शिखर पर पहुंचाते हम।
थोड़ा सा भी मेरे प्यार में अगर जाती वो रम।।
आज भी उसको उतनाही चाहता हूं जितना पहले चाहता।
किसी से कहता नहीं क्योंकि कहना अच्छा नहीं लगता।।
जब चाहे वह मेरी जिंदगी में आ सकती है,
उसके लिए मेरे दिल का दरवाजा खुला है।
ओ हमें भुल गई और भुलने को कह गई,
हमने उसे भुला भी दी पर दिल ने उसे नहीं भूला है।।
कवि – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳