वह नेता है ।
घपले घोटाले में,
अपने हिस्से ले लेता है
वह नेता है।
कभी पेंशन , आवास मे भी
आंशिक घूस लेता है
वह नेता है ।
कभी राशन मे घपलेबाजी
पल पल दलाली।
पेट भर नहीं पाता तो
पशु चारा खा लेता है ।
वह नेता है ।
विन्ध्य कहे न कह सके
मन मर्जी की हद करता है ।
मन भर जेब भरता है ।
सरकारी धन से
अपनी मूर्ति बना लेता है ।
वह नेता है ।
पद से हटता है तो।
बिल्ली सा उछल कूद करता,
बर्बादी मे आगे आकर
टोटी तक चुरा लेता है ।
वह नेता है ।
पिता को धकियाता,
गुंडे पालकर धमकाता।
जनता के धन से अपनी बेरोजगारी मिटा लेता है ।
वह नेता है ।
टू जी थ्री जी कितने गिनाए जी
रिश्ते नाते दारी तक
दीदी और जीजाजी तक
सब को सुखमय कर लेता है ।
वह नेता है ।
हाथ जोडता,
पांव पकडता
अवसर देखकर
पैर भी धो देता है ।
वह नेता है ।
करस्तानी बडी निराली,
कम होते हैं इंसानी।
रैली के लिए जुगत लगाए
पैसे तक दे देता है ।
वह नेता है ।
नेता के गुण का वर्णन न कर सका कोय।
सारे अवगुण मिले तो, नेता के गुण होय।।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र