वह डाली का फूल
वह डाली का फूल,
देखो कितना रहा फूल,
भौरें भी कर रहे गुंजन,
झूम उठा आज निर्जन,
हवा चल रही मन्द मन्द,
फैल रही चहुँओर सुगंध,
धरा पर रवि रहा चमक ,
फूल भी रहा अब दमक,
वह देखो फूल डाली का,
पसीना लगा माली का,
हर मौसम को वह सहता,
फिर भी सहज दिखता,
आंधी आती झूमे डाली,
थर थर कांपे वह बदहाली,
वह डाली का फूल…..
।।।जेपीएल।।।