वह काठ का बना एक पुतला
वह काठ का बना
एक पुतला है
बिना भाव भंगिमाओं का
वह यही रूप धारण करे
रहता है जब
दूसरों की बारी आती है
जब खुद का स्वार्थ होता है
वह रबड़ की एक गेंद की
तरह उछलकर सीधे
क्षमा याचना करता हुआ
अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए
व्यक्ति विशेष के
पांव में गिर जाता है
मोम की तरह ऐसे पिघलने
लगता है कि जैसे कभी
यह काठ का बना ही नहीं था।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001