जन्नत -ए – इश्क
जन्नत -ए – इश्क
कुछ लोग दिल में जगह बना लेते हैं,
तो कुछ दिमाग में घर कर लेते हैं,
और जो दिल और दिमाग दोनों ही जगह आसन जमा लेते हैं,
वही शायद बेपनाह, बेइंतहा, बेहिसाब,
मोहब्बत को मांग खुदा से,
जन्नत -ए – इश्क पाते हैं।।
सीमा टेलर ‘तू है ना’ (छिम़पीयान लम्बोर)