वही मिला है तुम्हें
—————————————————-
जैसा काबिल बने तेरे हिस्से में वो मिला है तुम्हें।
जो भय था तुम्हारे किस्से में वो मिला है तुम्हें।
खुशियों के कुछ पल गये खिलखिला है तुम्हें।
दु:खों के प्रहार थे जो गये तिलमिला है तुम्हें।
सौंदर्य से नहीं सुकृतियों से मान मिला है तुम्हें।
शौर्य से नहीं सुकर्म से सम्मान मिला है तुम्हें।
पूजा नहीं सेवा-भाव से भगवान मिला है तुम्हें।
विनम्र होने से हर श्रेष्ठ वरदान मिला है तुम्हें।
घमंड करने से विनाश व ढलान मिला है तुम्हें।
स्वार्थ बढ़ा तो अहं तेरा परेशान मिला है तुम्हें।
लोभी हुए,गिर जाने का निशान मिला है तुम्हें।
क्रोधांध होने से विवेक निष्प्राण मिला है तुम्हें।
ईर्ष्यालु हुए तो तेरा ‘मैं’ वीरान मिला है तुम्हें।
दुष्चरित्र, दुष्कर्मी हुए,अपमान मिला है तुम्हें।
सत्य से हुए पतित तो अज्ञान मिला है तुम्हें।
निष्ठा रखने से सर्वदा विज्ञान मिला है तुम्हें।
वसीयत है अत: रास्ता आसान मिला है तुम्हें।
आस्था है अत: सामने इन्सान मिला है तुम्हें।
विश्वास तोड़े सो रास्ता सुनसान मिला है तुम्हें।
मित्र से शत्रुता निभाया वह हैरान मिला है तुम्हें।
काँटे बोये इसलिए रास्ते परेशान मिले हैं तुम्हें।
युद्ध की ठानी अत: जाग्रत श्मशान मिला है तुम्हें।
विभाजन नहीं योग से गणित आसान मिला हैं तुम्हें।
श्रीमंत बने हो जब तब श्रीमान मिले हैं तुम्हें।
कुपथ से मुड़े तो रात का अवसान मिला हैं तुम्हें।
नि:श्रम की प्राप्तियों से सारा गुमान मिला है तुम्हें।
ये है तुम्हारा आकलन ऐसा पुराण मिला है तुम्हें।
——————————————————–