वहम
बचपन में देखा करता था
दिनभर कांव-कांव करते रहने वाले
कमज़ोर कौवों को,
अपनी राह पर सीधी उड़ रही चील की पांखें नोच-नोच कर परेशान करते।
बस यह मालूम नहीं होता था
कि वह चील कौवों का घोंसला उजाड़ कर जा रही होती थी।
बचपन में देखा करता था
दिनभर कांव-कांव करते रहने वाले
कमज़ोर कौवों को,
अपनी राह पर सीधी उड़ रही चील की पांखें नोच-नोच कर परेशान करते।
बस यह मालूम नहीं होता था
कि वह चील कौवों का घोंसला उजाड़ कर जा रही होती थी।