वहम कर ख़तम
सांसों में जब तक दम
अच्छा कुछ करें हम
क्या ?पता निकलेंगे जब प्राण
कहां ? कैसे?ले जाएंगे यम
मानव बना लेता वहम
खुद से दूसरों को मानता कम
जब हो जाता परवश
टूट जाता सारा अहम
लाखों योनियों भटक भटक कर
पाया मानव जनम
वापस आना है गर इसमें
मत कर किसी पर जुलम
अच्छी सोच करते सभी हजम
बेमतलब वाणी कर ले ख़तम ।
“राजेश व्यास अनुनय”