Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Oct 2023 · 1 min read

“तुम हो पर्याय सदाचार के”

तुम हो पर्याय सदाचार के
बरसाते रस सदा प्यार के

खिले रुप सदा सलोना
मुख मंडल पर तेज बिछौना

तुम बिन है सारा जग सूना
मात-पिता का तुम हो गहना

श्रेष्ठ जनों का आदर करना
पलकों बीच सदा ही रहना

पढ़-लिख कर तुम ज्ञानी बनना
मन में शिष्टाचार की ज्योति जलाना।

झूठ नहीं सिर तुम्हें सुहाएं
मन को साफ निरंतर रखना

सब देख तुम्हें आनंदित होएं।
अभिवादन झुक, सबका करना।

राकेश चौरसिया

160 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from राकेश चौरसिया
View all
You may also like:
सनातन
सनातन
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
मां
मां
Slok maurya "umang"
दीप ऐसा जले
दीप ऐसा जले
Kumud Srivastava
यह जो लोग सताए बैठे हैं
यह जो लोग सताए बैठे हैं
Ranjeet kumar patre
या तो युद्ध छेड़ दो हमसे,
या तो युद्ध छेड़ दो हमसे,
पूर्वार्थ
यदि ध्वनि हद से ज्यादा हो जाए तो सबसे पहले वो आपके ध्वनि को
यदि ध्वनि हद से ज्यादा हो जाए तो सबसे पहले वो आपके ध्वनि को
Rj Anand Prajapati
हवा से भरे
हवा से भरे
हिमांशु Kulshrestha
नाहक ही ख्वाब में जी कर क्या करेंगे ,
नाहक ही ख्वाब में जी कर क्या करेंगे ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
பூக்களின்
பூக்களின்
Otteri Selvakumar
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को समर्पित
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को समर्पित
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे।
राजनीति में शुचिता के, अटल एक पैगाम थे।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मेरी कलम से बिखरी स्याही कभी गुनगुनाएंगे,
मेरी कलम से बिखरी स्याही कभी गुनगुनाएंगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कुदरत के रंग.....एक सच
कुदरत के रंग.....एक सच
Neeraj Agarwal
प्यासा के कुंडलियां (विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा')
प्यासा के कुंडलियां (विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा')
Vijay kumar Pandey
मन मौजी मन की करे,
मन मौजी मन की करे,
sushil sarna
"नहीं देखने हैं"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम मुझे यूँ ही याद रखना
तुम मुझे यूँ ही याद रखना
Bhupendra Rawat
#परिहास
#परिहास
*प्रणय*
छूकर आसमान फिर जमीन पर लौट आएंगे हम
छूकर आसमान फिर जमीन पर लौट आएंगे हम
Ankita Patel
कब तक लड़ते-झगड़ते रहेंगे हम...
कब तक लड़ते-झगड़ते रहेंगे हम...
Ajit Kumar "Karn"
23/205. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/205. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*Deep Sleep*
*Deep Sleep*
Poonam Matia
प्रेम और घृणा से ऊपर उठने के लिए जागृत दिशा होना अनिवार्य है
प्रेम और घृणा से ऊपर उठने के लिए जागृत दिशा होना अनिवार्य है
Ravikesh Jha
क्यो नकाब लगाती हो
क्यो नकाब लगाती हो
भरत कुमार सोलंकी
संवेदनहीनता
संवेदनहीनता
संजीव शुक्ल 'सचिन'
प्राण- प्रतिष्ठा
प्राण- प्रतिष्ठा
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
वैसे तो चाय पीने का मुझे कोई शौक नहीं
वैसे तो चाय पीने का मुझे कोई शौक नहीं
Sonam Puneet Dubey
पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता हरेला
पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता हरेला
Rakshita Bora
वस्त्र की चिंता नहीं थी शस्त्र होना चाहिए था।
वस्त्र की चिंता नहीं थी शस्त्र होना चाहिए था।
Sanjay ' शून्य'
*बेटियॉं कठपुतलियॉं हरगिज नहीं कहलाऍंगी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
*बेटियॉं कठपुतलियॉं हरगिज नहीं कहलाऍंगी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
Ravi Prakash
Loading...