वसीयत
वसीयत
जब कार्य और सोच में स्थिलता आने लगे,
जोखिम उठाते कदम लड़खड़ाने लगे।
जब बच्चे निर्णय लेने में समर्थ महसूस करें,
अपने निर्णय को तुम्हारे से ऊपर धरें।
जब सलाह तुम्हारी की उपेक्षा होने लगे,
तुम्हें अकेला सा महसूस होने लगे।
जब राय अलग सबसे अपनी लगे,
ज़रूरत संयम की वाणी पर अपनी लगे।
महसूस हो कि दौर के रुकने का वक्त आ गया है,
समझो अब वसीयत के लिखने का वक्त आ गया है।