वसन्त का स्वागत है vasant kaa swagat hai
**वसन्त का स्वागत है**
टेसू गुलाब खिले, बेला के आवन से,
गलियन में झांझ बजे, पञ्चम गीत गाती है।
गाछ पर रसालों के भ्रमर गुॅजार करे ,
लपक रही मालती, चम्पा मन भाती है।।
आवत वसन्त गीत मीत मिलें भावन से
शीतल सुखद वारि तन को सिहराती है।
खिले पलास वन,हिय में उमंग भरे,
जैसे वन मालिनी आसन सजाती है।।
विहॅसत कचनार , मधुप धुन गावन से
बाजत मृदंग थाप,मन को लुभाती है।
आगत के स्वागत में पुष्पों के गुच्छ झरे
वासंती रंग में नहायी यहाॅ धरती है ।।
**मोहन पाण्डेय ‘भ्रमर ‘
**चैत्र कृष्ण,प्रतिपद
दिनांक २६मार्च २०२४
चित्र साभार फेसबुक वाल से