वसंत का संदेश
वसंत आया बोला हमसे,
न रहो तुम उदास।
समय चाहे जैसा हो पर,
एक न एक दिन गुजर जाता है।
दुख के बाद ही जीवन में,
सुख का अनुभव हो पाता है।
चाहे दुख कितना गहरा हो
एक न एक दिन छट जाता है।
अँधेरा चाहे कितना घना हो,
पर उजाला निश्चय ही उस
पर विजय पाता है।
तुम मुझसे सीखो, मैं कैसे,
पतझड़ से लड़कर आता हूँ।
और सुखी डाली पर कैसे,
मैं हरियाली बनकर छा जाता हूँ।
इसलिए तो मैं सबके,
मन को बहुत भाता हूँ।
इसलिए तो मैं वसंत,
ऋतुराज कहलाता हूँ।
जब तक तुम कष्ट न झेलोगें,
तब तक सफलता तेरी कदम न चूमेगी ।
मुझको तुम देखो कैसे,
मैं ठंड से लड़कर आता हूँ ।
कैसे सुखी डाली पर मै
तरह- तरह के फूल खिलाता हूँ।
मैं कहाँ कभी पतझड़ से,
हार मानकर थक जाता हूँ।
तुम भी अपने जीवन में ,
ऐसे ही हार न मानों।
संघर्ष करो अपने जीवन में
और सफलता जानो।
मुझसे सीखो कैसे जीवन में
संघर्ष कर आगे बढा जाता है।
कैसे सुखी डाली पर भी
फूल खिलाया जाता है।
उसकी मन भावन खुशबू से
कैसे इस जग को महकाया जाता है।
और जीत की खुशियो में
कैसे खुद को लहराया जाता है।
तितलियों और चिड़ियो को भी
तो मैं बहुत भाता हूँ ।
मधुमक्खी भी मेरे आने पर
खुश हो जाती है।
मेरे फूलों को देखकर ,
वो भी मदहोश हो जाती है।
और फूल – फूल पर बैठकर,
मुझको धन्यवाद जताती है।
मैं अपने साथ कई सुर और
झनकार भी लेकर आता हूँ।
कोयल भी तो अपना स्वर
मेरे साथ ही गाती है।
तुम भी अगर अपने जीवन ,
सफलता के फूल खिलाना चाहते हो।
अगर जीवन मे तुम भी सुख के
खुशबू महकाना चाहते हो।
तो तुमको भी जीवन में अपने,
संघर्ष करना पड़ेगा।
और सफलता के लिए ,
तुम को भी लड़ना पड़ेगा।
~ अनामिका