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9 Jan 2021 · 1 min read

वर्ष बीस

जाता हूँ मैं छोड़ कर , मिलो नहीं अब आप
साल बीस हूँ बुरा मैं , मुझे मिला है श्राप

मैंने की है बहुत अति , आऊँ अब नहिं लौट
पंख पखेरू उड़ गये , देता ऐसी चोट

घूँट खून के पियोगें , आने वाले साल
चला समय का चक्र जो , भूलो कैसे हाल

दर्द पीकर खो दिये है , जिनने अपने लाल
हाँ हाँ मैं तो वहीं हूँ , नालायक सा साल

रोजगार को छीन , रोका मनुज विकास
हाथ नौकरी गई तो , किया बहुत उपहास

सिंदूर छीना मांग का, दे दी असंख्य मौत
करामात हर रोज की, अपने लगते सौत

लगा गले से मौत को , करता क्रंदन करूण
फूट फूट रो रहा है , होता दुख दारूण

वापस आना नहीं तुम , कर दूँ तेरा नाश
किया बहुत नुकसान है , पड़ा रहे बन लाश

Language: Hindi
74 Likes · 395 Views
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