वर्ष पुरातन बीत गया हैनूतन का सत्कार करो।।
वर्ष पुरातन बीत गया है?नूतन का सत्कार करो
“””””””””””””””””””'”””””'””””””””” “””””””””””””””””””””””””””””””
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””‘”””””””””””””””””””””’
बीते पल में जो कुछ खोया, दिल से सब स्वीकार करो।
वर्ष पुरातन बीत गया है, नूतन का सत्कार करो।।
कुछ खोया कुछ पाया हमनें, यही खुदा की मर्जी थी।
नये वर्ष में सब अच्छा हो, यही हमारी अर्जी थी।।
नया वर्ष आन्नद है लाया, इससे मत इनकार करो।
वर्ष पुरातन बीत गया है, नूतन का सत्कार करो।।
आना जाना रीत जगत का, कौन भला बच पाया है।
कुछ भी नहीं अमर वसुधा पर, जायेगा जो आया है।।
जो कुछ है सब यही मिला है, सत्य यहीं इकरार करो।
वर्ष पुरातन बीत गया है, नूतन का सत्कार करो।।
सुख दुख है जीवन का पहिया, चलता ही यह रहता है।
सत्य सनातन बात यही है, धर्मशास्त्र भी कहता है।।
भुले से भी कभी किसी का, नहीं कभी अपकार करो।
वर्ष पुरातन बीत गया है, नूतन का सत्कार करो।।
✍️पं.संजीव शुक्ल “सचिन”