वर्षा
प्राकृति की प्रतिभा है वर्षा,
वर्षा के समय,
मौसम सुहावना होता है,
सुहावने मौसम में रिमझिम,
बारिश की वीर्य स्खलित होना,
वह कितना अनूठा झाँकी होता है।,
वर्षा हमें प्रतिरक्षा का,
सदेव संयोग देती है,
वह बरसने से पूर्व,
भेजती संदेशा हमें मौसम से,
जिसने मौसम को मेधा,
किया स्वयं को निरापद,
वही रहता है जीवन पुंज निरापद।
वर्षा हमारे जीवन के प्रतिवर्णिक हैं,
जीवन में भी वेदना आने से पूर्व,
संप्राप्ति हमें तम्बीह है,
तम्बीह को जिसने मेधा,
वही रहता है जीवन पुंज प्रसन्न।
हमें वेदना से प्रतिरक्षा है,
तो तम्बीह को मेध,
स्वयं को निरापद करना होगा।
नाम :- उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय ,बिहार