Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Aug 2018 · 1 min read

वर्षा

? ? ? ?

वर्षा बड़ी सुहानी है।
ये ऋतुओं की रानी है।
प्रकृति स्वयं को सजा रही,
बरसा छम-छम पानी है।
-लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
1 Like · 197 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
ऐ ज़िन्दगी!
ऐ ज़िन्दगी!
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
नसीहत
नसीहत
Slok maurya "umang"
आकाश दीप - (6 of 25 )
आकाश दीप - (6 of 25 )
Kshma Urmila
रानी मर्दानी
रानी मर्दानी
Dr.Pratibha Prakash
हर  तरफ  बेरोजगारी के  बहुत किस्से  मिले
हर तरफ बेरोजगारी के बहुत किस्से मिले
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
2786. *पूर्णिका*
2786. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
राज्यतिलक तैयारी
राज्यतिलक तैयारी
Neeraj Mishra " नीर "
''बिल्ली के जबड़े से छिछडे छीनना भी कोई कम पराक्रम की बात नही
''बिल्ली के जबड़े से छिछडे छीनना भी कोई कम पराक्रम की बात नही
*प्रणय*
पहचान ही क्या
पहचान ही क्या
Swami Ganganiya
गम इतने दिए जिंदगी ने
गम इतने दिए जिंदगी ने
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
हृदय तूलिका
हृदय तूलिका
Kumud Srivastava
इन राहों में सफर करते है, यादों के शिकारे।
इन राहों में सफर करते है, यादों के शिकारे।
Manisha Manjari
!! चहक़ सको तो !!
!! चहक़ सको तो !!
Chunnu Lal Gupta
यूँ तो इस पूरी क़ायनात मे यकीनन माँ जैसा कोई किरदार नहीं हो
यूँ तो इस पूरी क़ायनात मे यकीनन माँ जैसा कोई किरदार नहीं हो
पूर्वार्थ
"जीवन का संघर्ष"
Dr. Kishan tandon kranti
भगवद्गीता ने बदल दी ज़िंदगी.
भगवद्गीता ने बदल दी ज़िंदगी.
Piyush Goel
धीरे धीरे उन यादों को,
धीरे धीरे उन यादों को,
Vivek Pandey
दरख़्त-ए-जिगर में इक आशियाना रक्खा है,
दरख़्त-ए-जिगर में इक आशियाना रक्खा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शिव शंभू भोला भंडारी !
शिव शंभू भोला भंडारी !
Bodhisatva kastooriya
प्रदूषण रुपी खर-दूषण
प्रदूषण रुपी खर-दूषण
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
ऐ .. ऐ .. ऐ कविता
ऐ .. ऐ .. ऐ कविता
नेताम आर सी
मरने से पहले ख्वाहिश जो पूछे कोई
मरने से पहले ख्वाहिश जो पूछे कोई
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
सुबह होने को है साहब - सोने का टाइम हो रहा है
सुबह होने को है साहब - सोने का टाइम हो रहा है
Atul "Krishn"
*स्वजन जो आज भी रूठे हैं, उनसे मेल हो जाए (मुक्तक)*
*स्वजन जो आज भी रूठे हैं, उनसे मेल हो जाए (मुक्तक)*
Ravi Prakash
पिता की याद।
पिता की याद।
Kuldeep mishra (KD)
सीख
सीख
Sanjay ' शून्य'
इश्क का बाजार
इश्क का बाजार
Suraj Mehra
जब मायके से जाती हैं परदेश बेटियाँ
जब मायके से जाती हैं परदेश बेटियाँ
Dr Archana Gupta
खुद को जानने में और दूसरों को समझने में मेरी खूबसूरत जीवन मे
खुद को जानने में और दूसरों को समझने में मेरी खूबसूरत जीवन मे
Ranjeet kumar patre
ॐ नमः शिवाय…..सावन की शुक्ल पक्ष की तृतीया को तीज महोत्सव के
ॐ नमः शिवाय…..सावन की शुक्ल पक्ष की तृतीया को तीज महोत्सव के
Shashi kala vyas
Loading...