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22 Aug 2024 · 1 min read

वर्षा का तांडव हुआ,

वर्षा का तांडव हुआ,
बहे कई प्रासाद ।
शेष बचे अवशेष अब,
बने भयंकर याद ।।
सुशील सरना / 22-8-24

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