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1 Jun 2024 · 1 min read

वर्दी (कविता)

वर्दी के है अनेक प्रकार,
वर्दी की है अपनी शान।
अनेक रंगों की है ये वर्दी ।
जो पहने उसकी बढ़ती मान।

कुछ वर्दी पहन इतराते हैं
कुछ वर्दी पहन लोगों को डराते हैं।
कुछ लोग वर्दी की रखते लाज,
कुछ लोग वर्दी की लाज गंवाते हैं।

कुछ लोग वर्दी को इजज्त दिलवाते हैं
कुछ लोग इसे कलंकित कर जाते हैं।
कुछ लोग वर्दी पहनकर जनता को सताते हैं।
कुछ लोग इसे पहनकर जनता को डराते हैं।

ईमानदारों को मजबूत बनाती है वर्दी,
बेईमानों को मजबूर बनाती है वर्दी।
जब दुनिया खुशियाँ मनाती है,
तब अपना फर्ज निभाती है वर्दी ।

चलो वीर-वीरांगनाएँ आज हम मिलकर
अपना फर्ज निभायें, वर्दी का करें सम्मान।
दुःख दर्द मिटायें हम सब मिलकर,
रखें भारत माँ की शान।

‘जय हिन्द’

Language: Hindi
108 Views
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