— वर्तमान –
आज और अभी
जो जी लिया वो जी लिया
कल बीता किस काम का
आने वाला वक्त अपना नहीं
जिंदगी अगर है
तो आज ही है..
प्यार मोहोब्बत
दोस्ती दुश्मनी
जो भी है..वो आज है
पल भर का पता नहीं
कब साँस थम जाए
कैसे कहूं कि अगला
कदम उठ ही जाएगा
पानी के बुलबुले से सीखो
सामने आये सच से सीखो
झूठ की बुनियाद में काटो जिंदगी
जो सीखा है आज से सीखो
चलता फिरता बैठता उठता
वो वर्तमान ही तो है
शब्दों को ग्रहण करता
वाणी से मन्त्र मुग्ध करता
हमारा वर्तमान ही तो है
भूतकाल और भविषय
बेसहारा कर देने जिंदगी को
वर्तमान को नतमस्तक
करते हुए अपने पथ पर चलो
अजीत कुमार तलवार
मेरठ