वर्तमान।
ना जान सकें ना बदल सकें,
क्या भविष्य क्या अतीत है,
रह सकें तो वर्तमान में रहें,
इसी में जीवन की जीत है,
एक कल अभी आया नहीं,
और एक कल गया बीत है,
एक नज़र जो देखें ध्यान से,
वर्तमान ही सच्चा मनमीत है,
गुज़रा कल तो गुज़र गया,
क्यों भविष्य से मन भयभीत है,
एकमात्र हकीकत ये आज है,
कि वर्तमान एक मधुर संगीत है,
जवाब ये हर सवाल का है,
ये वर्तमान बहुत कमाल का है,
ना “अंबर” घबराइए कभी ना इतराइए कभी,
बस यही वर्तमान की रीत है ।
कवि-अंबर श्रीवास्तव