वर्तमान स्थिति में मन के भाव
छल बल और पाखण्ड का जितना करें प्रयोग,
उतना ही वो आगे बढ़े ये कैसा संयोग।
तन से मन से धन से करे जितना भी दुष्टाचार
दुनिया कहे महान उसे और करता फिरे प्रचार
व्यर्थ हुए सब ज्ञान यहाँ के वेद पुराण संस्कार
धुँआ व्यसन का उड़ा रहे देख पश्चिमी आचार।
देश हितैषी कम मिलते हैं और लूटपाट सब ओर
बिकता है ईमान यहाँ अब देखो धन का जोर।।
भारत कहलाता है विश्व गुरु उसको कमजोर बनाते हैं
ऐसे पाखंडी आडम्बर धारी इसको लज्जित करवाते हैं।
अब भी समय शेष है जागो भारत के रखवालों।
श्रेष्ठ समृद्ध सम्पन्न राष्ट्र को रक्षित करने आओ ।
हम सभी शपथ लें राष्ट्रभक्ति की “वन्देमातरम” गाओ।
इससे बढ़कर नहीं वन्दना आओ मिल कर गाओ।
वन्दे मातरम! वन्दे मातरम! वन्दे मातरम!