*वर्तमान पल भर में ही, गुजरा अतीत बन जाता है (हिंदी गजल)*
वर्तमान पल भर में ही, गुजरा अतीत बन जाता है (हिंदी गजल)
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1)
वर्तमान पल भर में ही, गुजरा अतीत बन जाता है
चलती सॉंसें रुकीं और, मानव इतिहास कहाता है
2)
कल तक थे चलते-फिरते, अब अकस्मात ही मौन हुए
एक खिलौना मिट्टी का, सब बोले तन कहलाता है
3)
लाख बहाने मरने के, तन नश्वर होता है माना
श्रेष्ठ चिकित्सा अस्पताल, फिर भी सौ बार बचाता है
4)
जिसने याद रखा दुनिया, यह एक धर्मशाला केवल
बुरे काम से पहले मन, उसको सचेत करवाता है
5)
सीधा चलता समय कभी, उल्टी गिनती गिनता अक्सर
उसी रोग में बचता तन, उसमें ही प्राण गॅंवाता है
6)
क्या रक्खा है जीने में, दो पल की क्षणिक कहानी यह
फिर भी अपना घर मानव, अपना संसार बसाता है
7)
कब मरना है किसे पता, जो भी करना है अभी करो
कल पर टाला काम अगर, कल अक्सर कभी न आता है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451