वर्ण व्यंजन मे तुमको लिखना ,, क्या कोई बेईमानी होगी
वर्ण व्यंजन मे तुमको लिखना ~~~~
क्या कोई बेईमानी होगी ~~~~
मेरा तुमको अपना कहना ~~~~
हमनफ्ज ,,,,
ये मेरी नाफरमानी होगी ~~~~
मेरा पतला प्रेम निवेदन ~~~~
पर,,,,
प्रेम प्रयतन कर के मै हारा ~~~~
और ये परितयक्त भावो का स्थायी वेदन ~~~~
किस वेद मे हंसिनी ,, मै अपनी बूटी ढूंढू ~~~~
डूब रहा हूँ सागर जल मे ~~~~
पर ,,,,
जीने को क्यो मै खूंटी ढूंढू ~~~~
जाना तुमहारा कुछ यू है कूहूकिनी ~~~~
जैसे ,,,,
जीवन अनुराग का बिछड़न ~~~~
दरवाजे के आम महुआ बतियाए ~~~~
बसंत को है विरह की जकड़न ~~~~
फिर वही उन आखड़ो मे कहता हूँ ~~~~
प्रेम की पाती तुम तो मेरी थी ~~~~
क्या पराए घर की रानी होगी ~~~~
वर्ण व्यंजन मे तुमको लिखना ~~~~
क्या अब कोई बेईमानी होगी ~~~~
स्मृति वेग मे मेरी बहती हो तो ~~~~
तुम भी मम मम पानी होगी ~~~~~
सदानन्द
19 मई 2017