वर्ण धनुष
शीर्षक : दर्पण
पी
कर
पचाले
तब जानूँ ।
उगलता क्यूँ
सीधी तस्वीरों को
मुँह देखी करके ।
दर्प में भूल मत
तेरी पीठ पर
लगा रोगन
चमकाता
तुझको
दर्प
में ।
शीर्षक : दर्पण
पी
कर
पचाले
तब जानूँ ।
उगलता क्यूँ
सीधी तस्वीरों को
मुँह देखी करके ।
दर्प में भूल मत
तेरी पीठ पर
लगा रोगन
चमकाता
तुझको
दर्प
में ।