वरना इश्क लड़ाता कौन
गम की काली रातों में भी, मीठे स्वप्न सजाता कौन।
आँसू को नैनों में अपने, बिना वजह उलझाता कौन।
मौत मुहब्बत संगी साथी, अक्सर ले लेते हैं जान-
आशिक तो पागल होता है, वरना इश्क लड़ाता कौन।
गम की काली रातों में भी, मीठे स्वप्न सजाता कौन।
आँसू को नैनों में अपने, बिना वजह उलझाता कौन।
मौत मुहब्बत संगी साथी, अक्सर ले लेते हैं जान-
आशिक तो पागल होता है, वरना इश्क लड़ाता कौन।