वरदान दो माँ
मैं तेरी चौखट खड़ी वरदान दो माॅ ।
गिर पडूँ न लड़खड़ा,कर थाम लो माँ ।
अब तेरा कर थाम ही चलना मुझे है
थक गई हूँ चलकर अपने पाँव पे माँ।
मैं तेरी……………………….
जगत के सब ढंग रास आते नहीं माँ ।
नित उलझते व सुलझते थक गई माँ।
अब मेरी सब उलझनें तेरे द्वार पर हैं
विश्वास मेरा और तुम पर दृढ करो माँ ।
मैं तेरी………………………..
ये मन बहुत बेचैन है रमता नही माँ ।
अश्रु भी अब आँख में थमता नहीं माँ |
तेरी ज्योति सा मेरा हृदय स्थिर करो
सिर पर रखकर हाथ मुझको दृढ़ करो माँ ।