वयंग्य-कविता-मौका नहीं चूकते लोग वार करने में
मौका नहीं चूकते लोग बार करने में ,
निरीह बेकसूरों का शिकार करने में ।
ख्याल रहे कि खुदा भी मदद नहीं करता ,
ऐसों की डूबती नैया को पार करने में ।। मौका….
जीवन योंही विता देना बड़ी वात नहीं ,
मानव जीवन ऐसों के लिए सौगात नहीं ।
कपोल कल्पना में न रात बीत जाए ,
नये सबेरे के लिए वो शुभ रात नहीं ।
जरा भी संकोच नहीं करते लोग रार करन में ।।मौका…….
कुछ लोग नौकरों को गुलाम समझ लेते हैं,
उन पर दृष्टि डालना भी इनाम समझ लेते हैं ।
सबमें एक ही खुदा का नूर बसता है,
ऐसे लोग खुद को ईश्वर बनाम समझ लेते हैं ।
नहीं डरते इंसानों के बीच रार करने में ।।मौक़ा …
कुछ मौका मिले तो बेईमानी करने लगते हैं ,
कुछ सत्ता मिले तो मनमानी करने लगते हैं ।
सबका अच्छा और बुरा समय जरूर आता है,
न मानो तो कुछ परेशानी करने लगते हैं ।
बेहतर है ईमानदार दुश्मन के साथ करार करने में ।। मौका नहीं …………
दुश्मन का दुश्मन मित्र होता है ,
दुश्मन का मित्र शत्रु होता है ।
हो राजा मिट जाता है अप्रिय हितकारी वचन नहीं सुनता ,
मित्र का शत्रु भी शत्रु होता है ।
बहुत सोचना चाहिए मित्र के साथ तकरार करने में।। मौका नहीं ………….
कुछ लोग स्वयं को ही ठीक मानने लगते हैं ,
केवल खुद को ही सटीक मानने लगते हैं ।
और सब को दरकिनार कर देते हैं ,
अपने कार्यों को ही लीक मानने लगते हैं ।
क्या फायदा झूठी मजार करने में ।। मौका ……..
-:डाँ तेज स्वरूप भारद्वाज -: