…..वफ़ा का शहर…..
गहरा है समंदर कहीं खो न जायें….
हासिल नहीं किसी की हमें वफायें…
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फिर आज बहका हूँ कहीं बह न जायें…
है उम्मीद कहीं टकरायेंगी हम से जफायें…
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खुला है आसमां कहीं बारिश आ न जाये…
खुद को कैसे संभालें और कितनी दफायें…
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चाँद की हैं रातें कहीं अंधेरा आ न जाये…
नौका पार खुद कैसे किनारे अपनी लगायें…
( स्वरचित )
#rahul_rhs