वफादारी
तुम्हारे खून में वफा शामिल थी…
मेरी नजरने तुम्हारा ही इंतखाब किया ….
कमाल ए इश्क की ये मंजिल थी
के उस ने zarre को आफताब किया….
मुखालफत तो बहुत की थी लोगो ने……
खुदा का शुक्र था के उसने कामयाब किया…..
बहुत से मरहले आए थे दरमिया अपने….
उन हादसों ने हमें और लाजवाब किया…
उसे जमाने का गम क्यों सताए भला…
खुदा ने जिस की दुआओ को मुस्तजाब किया….
हम सूकून है आखिरी के पा ही लिया तुम को…
इश्क ने इश्क को क्या खूब फतेयाब किया……..
ShabinaZ
.
.