वफ़ाओं का सिला कोई नहीं
ऐसी है यह ख्वाहिश कि दिशा कोई नहीं है
दुनिया में वफ़ाओं का सिला कोई नहीं है
अंदर के हिमालय से निकल आई है गंगा
तूफ़ान मिरे दिल में बचा कोई नहीं है
इंसान तो क्या लोग खुदा से भी नहीं ख़ुश
इस दौर में सब का तो भला कोई नहीं है
कपड़ों में जो बाज़ू थे वह सब काट दिये हैं
साँपों का ठिकाना तो बचा कोई नहीं है
हम जब भी परखने को चले हैं यह ज़माना
महसूस हुआ, हमसे बुरा कोई नहीं है
इस दौर में क़ातिल की मसीहाई है अरशद
क़ानून की नज़रों में बुरा कोई नहीं है