वन में नाचे मोर सखी री वन में नाचे मोर।
वन में नाचे मोर सखी री मन में नाचे मोर ।
कैसे कहूँ सखी री मोरी
जी में उठे हिलोर ।
गया जब से बेदर्दी
मैं अपनी सुध बुध खोई
मैं पाती पढ़ पढ़ रोई
हर कोई जाने हंसी ठिठोली
दिल का दर्द न जाने कोई
न जाने कब आवे चितचोर
वन में नाचे मोर सखी री वन में नाचे मोर।
बाके विन मैं भई बावरी
भूख प्यास सब खोई
जा दिन ते परदेश गयो
मैं एक रैन ना सोई
मेरे दिल को दर्द न जाने कोई
मैं कब ते देख रही हर ओर
वन में नाचे मोर सखी री वन में नाचे मोर।
अनुराग दीक्षित