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7 Feb 2021 · 1 min read

वन्दना

जयतु जयतु मां शारदे, बारम्बार प्रणाम।
देना मेरी कलम को नित नूतन आयाम।।

सद् लिखूं सतपथ चलूं, कभी न भूलूं राह।
शुचिता, धीरज, सौम्यता सदा नियंत्रित चाह।।

जननी तुम पालक तुम्ही, तुम्ही प्रेरणा सिंधु।
तुम पर आश्रित लेखनी, भारत याचक बिंदु।।

भारतेन्द्र शर्मा “भारत”
धौलपुर, राजस्थान

Language: Hindi
4 Likes · 4 Comments · 295 Views
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