वन्दना
माँ शारदे करती नमन,
अर्पित तुम्हें श्रद्धा सुमन
लीजिए मम हाथ निजकर
हो सार्थक मम आव्हान।।
आपके आलोक में जग
जागता करता सृजन।
ग्यान और विग्यान का
सर्वदा करअनुगमन।।।।।
सूर्य सा प्रकाश छवि में
ज्योत्सना सम विमल मन
तारों की टिम टिम तिमिर
कीजिए पदार्पण।।।।।
शब्द अवगुन्ठित रखे
है विज्ञता पर आवरण
अज्ञान तमके लाक्षा गृह में
कैसे हो मां निर्वहन।।।।। ।।।
कीजिए निज दृष्टि हम पर
करें ज्ञान का हम आचमन
खोलिए निज द्वार कृपा
होवे नित नव सृजन।।।।। ।।।
शारदे मां शारदे शारदे मां शारदे
मीरा परिहार ‘मंजरी ’30/11/2018