वतन
दिल के आइने में वतन का चेहरा
चमकता रहे हरदम बन कर जीने का आसरा ।
दिल वही जो देखे वतन का ख्वाब सुनहरा
जिस्म वही जो वतनपरस्ती की राह मे उतरे खरा ।
वतन से इश्क है जन्नत का रास्ता
वतनपरस्ती का हर रास्ता है काँटों भरा ।
जीना उसी का है मुकम्मल जहाँ में
समझे जो वतनपरस्ती का राज़ गहरा ।