वतन का अज़ार
जाने क्या मेरे वतन को हो गया आजार।
सिसकता है,रोताहै,तड़पता है बार-बार।
ज़ख़्मी है वोह बड़ा अपनों के दिए नश्तरों से ,
खुदाया एक बार तो सुन लो टूटे हुए दिल की पुकार ।
जाने क्या मेरे वतन को हो गया आजार।
सिसकता है,रोताहै,तड़पता है बार-बार।
ज़ख़्मी है वोह बड़ा अपनों के दिए नश्तरों से ,
खुदाया एक बार तो सुन लो टूटे हुए दिल की पुकार ।