*”वट सावित्री व्रत अखंड सौभाग्य शाली”*
“वट सावित्री”
ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि,
वट सावित्री का व्रत ,सदा सुहागन वरदान है पाती।
बरगद वृक्ष के नीचे दीप प्रज्वलित,
सत्यवान ,सावित्री की मूर्ति रख,
सुहाग श्रृंगार अर्पित करती।
धूप दीप नारियल फल फूलों से ,
पूजा अर्चना कर कच्चे सूत बांध ,
वट वृक्ष की परिक्रमा लगाती।
पति की लंबी उम्र संतान प्राप्ति के लिए ,
कठिन व्रत ध्यान साधना करती
बरगद वृक्ष जीवन प्राण वायु देता ,
वट वृक्ष से सुख सौभाग्य वैभवशाली वरदान मांगती।
बुलंद हौसला सती सावित्री का ,
यमदेव से लड़कर पति व परिवार के लिए
जीवनदायनी अमर सुख लेती।
सती सावित्री हार न मानती ,
सत्यवान को जीवन देने के लिए ,
पग पग पर कदम बढ़ाती ही जाती
यम देव से जूझते ही जाती।
सती सावित्री के प्रण के आगे ,
यम भी कर्त्तव्य पथ को भूल गया।
सत्यवान को जीवन देने के लिए ,
सच्ची श्रद्धा भक्ति पतिव्रता देख
यमदेवता हार गया।
यमदेवता से छीनकर पति को लंबी उम्र
वरदान मिल गया।
चार दिन बगैर अन्न जल ग्रहण किये ,
सती सावित्री तप ध्यान साधना में लीन ,
अखंड सौभाग्य वरदान प्राप्त कर
जीवन सफल बनाती।
जय श्री कृष्णा जय श्री राधे राधे ?
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शशिकला व्यास✍️