वजूद पर प्रश्न चिन्ह
अक्सर जो पूछते समाज में कि नारी का खुद का वजूद क्या है?
नर बिना नहीं अस्तित्व जिसका उसका खुद का मान क्या है?
तो बताऊं उनको मै यह प्रश्न चिन्ह लगाते वो जिसके वजूद पर,
तुम्हारी जिन्दगी का आधार है क्यूंकि उसने जन्म दिया तुम्हें यहीं पर,
जिसने बनाया राम को भगवान और कृष्ण को कान्हा बनाया था,
उसी नारी ने द्रौपदी बन द्वापर में कौरवों का अहम गिराया था,
है सती सी शीतलता उसमे तो चंडी का विकराल रुप भी उसमे समाया है,
दुनिया की नज़रों में जो है कोमल उसी ने सबका भार उठाया है,
गिराते हो जो मान उसका और सिर्फ भोग वस्तु उसे बनाया है,
तभी तुमने इस जगत में सिर्फ अपमान का घूंट पिया है,
जिसके अस्तित्व पर उठाते सवाल उसी को दर्द बेहिसाब दिया है,
अपनी भूख मिटाने को तुमने उसका हर उम्र में खिलवाड़ किया है,
सहकर वो हर अपमान को लबों पे मुस्कान लिए जीती हैं,
कोई क्या जाने वो कितने जहर के प्याले पी कर शिव का किरदार निभाती हैं,
गुरूर मानते बेटी रूप में जिसे उसके बहू रूप में लांछन कितने ही लगाते हो,
एक रंग को उसकी अस्मिता का आधार बनाकर उसके स्वाभिमान को तोड़ते हो,
जिंदगी के हर मोड़ पर हर कदम में जो तुम्हारी सारथी बनती है,
उसी के वजूद पर प्रश्न लगाकर तुम वास्तव में खुद पर प्रश्न लगाते हो,
कहते हो जो तुम हमसे कि नर बिना नहीं अस्तित्व तुम्हारा तो गुरूर किस बात का है,
तो बताऊं मैं उनके यह कि शक्ति बिन जब शिव भी शव है,
तो हमारे बिन तुम्हारा अस्तित्व अधूरा है और सच कहूं तो नर नारी मिलकर ही जीवन पूरा है।