वज़्न – 2122 1212 22/112 अर्कान – फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र – बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: आ स्वर की बंदिश रदीफ़ – न हुआ
गिरह
जान का रोग है बला है इश्क़
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ।
१)इश्क़ के मर्ज़ में जो जुदा न हुआ।
क्या कहूँ तुमसे मैं कि क्या न हुआ ।
२) जो अहम को लिये यूँ बैठा रहा,
दर्द दिल का सही उसका न हुआ।
३) हर्फ़ मेरे बयां कर रहे हैं सब
दिल से मेरे कभी वो जुदा न हुआ।
४) मेरी धड़कन में तू बसा जबसे
ख़त्म यादों का सिलसिला न हुआ।
५)आज सारे गिले मिटा ‘नीलम’
जो तेरा न हुआ, मेरा न हुआ।
नीलम शर्मा ✍️