वजह ढूंढोगे तो अंत हो जाएगा
वज़ह ढूंढोगे तो अंत हो जाएगा
फिर दूर-पास का क्या मतलब रह जाएगा।
बेवजह उसकी खिड़कियों से ना झांको।
वरना उसके गलियों में बेकार के तमाशा हो जाएगा।
तुम तो निकल जाओगे आग लगाकर
मगर उसकी बदनामी का जनाजा भला कौन उठाएगा।
बहुत आएं और गए लोग उसके गलियों से
मगर बेबुनियादी अफवाहों से, कौन उसे बचाएगा।
इसलिए कहता है ये दिल , आसान बहुत है दिल को लगाना
मगर मुश्किल बहुत है प्यार निभाना।नीतू साह
नीतू साह
हुसेना बंगरा, सीवान-बिहार