वजह ढूंढ़ती हूं
मैं तेरे हर एक लब्ज में मुस्कुराने की वजह ढूंढ़ती हूं
मैं ये न जाने क्यूं और किस वजह से ढूंढ़ती हूं ।
तू इक बार छलक कर ईसारों में ईसारा तो कर
मै तेरे शब्द के बहते दरिया में ईसारा ढूंढ़ती हूं।
रात मुस्लसल महक जाय तेरे मुस्कुराने से
चांद के अक्स में मैं तेरा मुस्कुराना ढूंढती हूं ।
~ सिद्धार्थ