वक्त
मायूस क्यों होता है,
वक्त ही तो है बदल जाएगा,
आज अंधेरा घेरे सा है,
तू बिखेर मुस्कुराहट की चमक,
ये ‘सवेरे सा’ निखर जाएगा ।
बस थोड़ी सी तपन और,
फिर देख कैसे महकता है,
ये तेरा किरदार,
तकदीर वाला समझ खुद को,
जो वक्त खुद रहा तुझे संवार,
शिकन क्यों लाता है,
नादान धुआं ही तो है हट जाएगा ।
मायूस क्यों होता है,
वक्त ही तो है बदल जाएगा ।।
-डॉ. ‘स्नेही’