वक्त
वक्त बड़ा बलवान है ,
जख्म देता है,तो दवा भी।
जो अपने बस में नहीं,
छोड़ दे उस मालिक पर,
वो सब करेगा सही…।
जख्म ही हर जख्म का
मलहम बन जाता है।
क्यो तड़पता है मुसाफिर,
मंजिल मिल ही जाता है।
??????
—लक्ष्मी सिंह
वक्त बड़ा बलवान है ,
जख्म देता है,तो दवा भी।
जो अपने बस में नहीं,
छोड़ दे उस मालिक पर,
वो सब करेगा सही…।
जख्म ही हर जख्म का
मलहम बन जाता है।
क्यो तड़पता है मुसाफिर,
मंजिल मिल ही जाता है।
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—लक्ष्मी सिंह